इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सीएमडी महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ कमला प्रसाद पांडे उपस्थित थे। उन्होंने ने वैदिक संस्कृत और लौकिक संस्कृत को विस्तार से बताया ।उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत वसुधैव कुटुंबकम की भावना रखती है। जिस तरह ग्वाला घर-घर जाकर दूध बनता है । इस पवित्रता के साथ हमें संस्कृत के प्रचार प्रसार को सबके सामने घर-घर जाकर रखना होगा। तभी हम भाभी पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ सकेंगे। उन्होंने विभिन्न वेदों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, और धर्म ग्रंथो को वर्तमान जीवन शैली अध्यात्म से जोड़कर बताया। इस अवसर पर वक्त के रूप में उपस्थित डॉ संतोष कुमार तिवारी व्याख्याता संस्कृति और ज्योतिषाचार्य ने कहा कि जो संस्कारवान बनाएं वही संस्कृत है । उन्होंने बताया कि जितने भी विद्या के ग्रंथ हैं। वह सभी संस्कृत में हैं । उनका मूल ही संस्कृत है। चिकित्सा, शिक्षा, जीवन शैली, अध्यात्म, धर्म, योग ,विज्ञान, ज्योतिष, वास्तु, अंक गणित, सामुद्रिक शास्त्र, सहित जितने भी ज्ञान है उन सभी का मूल संस्कृत भाषा में ही है। उन्होंने वर्णमाला के शब्दों, अक्षरों, को शरीर विज्ञान और मंत्र से जोड़कर अपनी बात रखी। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि एक समय चक्र होता है । जिसमें परिवर्तन होता है । अब हम वापस अब समय चक्र के माध्यम से संस्कृत की प्रासंगिकता पर लौट रहे हैं। हम ही संस्कृत के वाहक बनेंगे। उन्होंने बताया कि जल्द ही संस्कृत भाषा तकनीक की भाषा बनने वाली है । जिस दिन संस्कृत तकनीक की भाषा बन जाएगी । उसे दिन हम सब की भाषा होगी । और भारत तकनीक के क्षेत्र में विश्व में सबसे अग्रणी होगा। उन्होंने बताया कि हम हिंदी भाषा को लेकर भी वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे हैं । उन्होंने विश्वविद्यालय में स्थापित भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के विषय में विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर उपस्थित संस्कृत एवं प्राच्य भाषा विभाग के प्रमुख डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने कहा कि संस्कृत में संस्कृति समाहित है ।इसलिए ही संस्कृत का अध्ययन अध्यापन जरूरी है। संस्कृत पढ़ने से हमें संस्कृति की जानकारी होती है.। उन्होंने सावन पूर्णिमा से पढ़ाई प्रारंभ होने और पौष पूर्णिमा तक पूरी होने की बात बताई । उन्होंने विभिन्न वेद, उपनिषदों, वेदांतों, को विस्तार से सबके सामने रखा। कार्यक्रम में भाषा विज्ञान विभाग की प्रमुख डॉ गुरप्रीत बग्गा ने भी अपने विचार रखें। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग की प्रमुख डॉ आंचल श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विभाग अध्यक्ष, प्राध्यापक ,शोधार्थी, एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।