डॉ सीवी रमन विश्वविद्यालय में जगन्नाथ प्रसाद चौबे वनमाली जी की 113 जयंती मनाई गई। इस अवसर पर उनके व्यक्तित्व कृतित्व के बारे में चर्चा की गई। विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, हिंदी के शोधार्थियों, विद्यार्थियों ने उनके जीवन पर केंद्रित अनेक विषयों को सबके सामने रखा। साथ ही बिलासपुर में उनके बीते दिनों को याद किया गया। यह आयोजन वनमाली सृजन पीठ, वनमाली केंद्र एवं भाषा एवं साहित्य विभाग की ओर से आयोजित किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार घोष ने कहा कि वन माली जी ने कला और साहित्य को नए आयाम में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक , एक प्राचार्य का अपने मूल शिक्षण काम के साथ साहित्य में इतना समर्पण और राष्ट्रपति पुरस्कार तक सम्मानित होना उनके साहित्य के प्रति गहरी सोच को दर्शाता है । उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों को उनके जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए। उनकी कहानियों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद् की समिति के सदस्य के रूप में भी शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि 1962 में डॉ. राधाकृष्णन द्वारा उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वनमाली जी का योगदान हिंदी साहित्य के साथ-साथ शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण था, और उनकी कथाएँ आज भी हमें उनके महत्वपूर्ण योगदान का स्मरण कराती हैं। इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ अरविंद कुमार तिवारी ने कहा कि वनमाली जी साहित्य साधना के साथ-साथ सामाजिक दायित्व भी अति संवेदनशीलता से निभाते थे। उनका हिंदी के प्रति समर्पण इस बात का प्रमाण है ,कि आज हम विश्वरंग के माध्यम से हिंदी को वैश्विक स्तर तक स्थापित कर रहे हैं। डॉ अरविंद तिवारी ने वनमाली जी के अनेक अनछुए पहलुओं को सभी से साजा भी किया। उन्होंने कहा कि वनमाली जी के लेखन का अध्ययन करने के लिए उनकी कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, जो उनके महत्वपूर्ण साहित्यिक योगदान को दर्शाती हैं। आचार्य जगन्नाथ प्रसाद चौबे 'वनमाली' ने अपने जीवन के दौरान हिंदी साहित्य को नए ऊँचाइयों तक पहुँचाया और अद्वितीय साहित्यकार के रूप में अपनी छाप छोडी। उन्होंने बताया कि जांजगीर के बहुउद्देशीय विद्यालय की स्थापना भी उनकी ही देन है। कला संकाय के डीन डॉ वेद प्रकाश मिश्रा ने कहा कि वनमाली जी ने अपने साहित्य में पर्यावरण को भी विशेष स्थान दिया था। जो आज प्रासंगिक है। उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध किया जाना चाहिए । इस अवसर पर डॉ रिचा यादव ,डॉ अंजू तिवारी ने वनमाली जी के साहित्य और व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन डॉ गुरप्रीत बग्गा ने किया। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के प्रमुख डॉ आंचल श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में आभार प्रकट जनसंपर्क अधिकारी किशोर सिंह ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष, प्राध्यापक , शोधार्थी, और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।